THE ULTIMATE GUIDE TO उच्च शिक्षा

The Ultimate Guide To उच्च शिक्षा

The Ultimate Guide To उच्च शिक्षा

Blog Article

जिन स्कूलों ने फार्म छह में अपनी फीस राशि पोर्टल पर दर्शायी हो, वही मान्यता प्राप्त विद्यालय फीस प्रतिपूर्ति राशि के लिए पात्र होंगे। विद्यालयों द्वारा दाखिल होने वाले विद्यार्थियों का डाटा एमआइएस पोर्टल पर दाखिले की तिथि से दो दिन के अंदर अंदर ही अपडेट किया जाना अनिवार्य होगा।

ऑफलाइन आवेदन के पश्चात लकी ड्रॉ निकाला जाएगा, इस लकी ड्रा के माध्यम से जिन भी छात्र का नाम मुफ्त शिक्षा के लिए चुना जाएगा उन्हें प्रक्रिया पूरी होने के बाद स्कूल में दाखिला दे दिया जाएगा
Details

 सभी पाठकों को सलाह दी जाती है कि किसी भी योजना का लाभ लेने के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन करें

शिक्षक संगठन कालीकोटको अध्यक्षमा शाही निर्वाचित

चिराग योजना के लिए कौन से दस्तावेज आवश्यक हैं?

फॉर्म जमा करने के साथ ही आपको एक रसीद दी लेटेस्ट अपडेट लिख देनाजाएगी, जिसे आप सुरक्षित रख लेंगे।

हरियाणा चिराग योजना या यूं कहें कि हरियाणा अनुदान योजना को लागू करने के पीछे सरकार का उद्देश्य गरीब व निम्न मिडिल क्लास लोगों के बच्चों को शिक्षा प्रदान करना है। प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने की इच्छा सभी की होती है लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण विद्यार्थी चाह कर भी प्राइवेट स्कूल में नहीं पढ़ पाते हैं। इसीलिए इस चीज को ध्यान में रखते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री ने इस योजना को निकाला है जिसके तहत वह गरीब विद्यार्थियों को जो पढ़ाई करने में इच्छुक हैं उन्हें प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलवाएंगे।

लाभार्थियों का उचित चयन और सुविधाएं नहीं मिल पाती

आवेदन फॉर्म के साथ जो भी महत्वपूर्ण दस्तावेज मांगे जाए, उन्हें अटैच करके अपने खंड के स्कूल में जमा करवा देना होगा

हरियाणा चिराग योजना का उद्देश्य क्या है?

यो वेबसाइट कान्तिपुर राष्ट्रिय दैनिकको आधिकारिक न्युज पोर्टल हो । नेपाली भाषाको यो पोर्टलले समाचार, विचार, मनोरञ्जन, खेल, विश्व, सूचना प्रविधि, भिडियो तथा जीवनका विभिन्न आयामका समाचार र विश्लेषणलाई समेट्छ। पूरा पढ्नुहोस् »

नेपाल सरकारले बहुविश्वविद्यालयको अवधारणा अवलम्बन गरेसँगै नेपालमा हाल करिब डेढ दर्जन विश्वविद्यालय सञ्चालनमा छन् । ती विश्वविद्यालयअन्तर्गत १ हजार ६ सयभन्दा बढी निजी, सामुदायिक तथा सरकारी कलेज छन् । उच्च शिक्षा प्रदायक संस्थाहरूको संख्या, कार्यक्रम तथा विद्यार्थी भर्नामा पछिल्लो समयमा उल्लेख्य वृद्धि भएको देखिन्छ । तर, गुणस्तरमा के कति विकास भइरहेको छ भन्ने विषय मुख्य छलफलको विषय बनेको छ ।

०५६ को बजेटमा महेन्द्र मोरङ क्याम्पसलाई पूर्वाञ्चल र पृथ्वीनारायण क्याम्पसलाई पोखरा विश्वविद्यालयमा राख्ने काम विश्वविद्यालयहरू पहिले नै स्थापना भएका कारण पूरा भएन । ०६८ मा खुलेका कृषि तथा वन, मध्यपश्चिम र सुदूरपश्चिम विश्वविद्यालय पनि त्रिविका आंगिक क्याम्पसलाई मिलाएर चलाउने भन्ने योजना पूरा हुन सकेन । तर, हेटौंडा र रामपुरमा रहेका आंगिक क्याम्पस बन्द हुँदा कृषि तथा वन विश्वविद्यालयको तिक्तता त्रिविसँग देखियो । यस समस्याका बारेमा विश्वविद्यालयका पदाधिकारी, दल र सरकारले गैरजिम्मेवार भएर बोल्न मिल्दैन । 

चयनित उम्मीदवारों को स्कूलों में प्रवेश के लिए लकी ड्रॉ का सामना करना पड़ सकता है।

Report this page